नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐतिहासिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकार ने देशभर के 1 लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाने का निर्णय लिया है जिनके परिवार में कोई भी सदस्य पहले कभी राजनीति में नहीं रहा है। यह पहल भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने और राजनीति में जातिवाद और परिवारवाद के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से की जा रही है।
नए चेहरों की तलाश: फ्रेश ब्लड की जरूरत
प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना को विस्तार से बताते हुए कहा कि देश को नई सोच और नई ऊर्जा की आवश्यकता है, और इसके लिए राजनीति में फ्रेश ब्लड को शामिल करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, “हम जल्द से जल्द देश में राजनीतिक जीवन में 1,00,000 ऐसे नौजवानों को आगे लाना चाहते हैं जिनके परिवार में किसी का भी कोई राजनीतिक बैकग्राउंड न हो। जिनके माता-पिता, भाई-बहन, चाचा-मामा आदि कभी भी राजनीति में नहीं रहे हों। इन होनहार नौजवानों को फ्रेश ब्लड के रूप में राजनीति में लाना चाहते हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि राजनीति में नए और उभरते हुए चेहरों का आना बेहद जरूरी है, ताकि लोकतंत्र में ताजगी बनी रहे। इसके लिए इस योजना के तहत युवा अपने गांव से लेकर संसद तक, किसी भी स्तर पर राजनीति में प्रवेश कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “चाहे वे पंचायत में आएं, नगरपालिका में आएं, जिला परिषद में आएं, विधानसभा या लोकसभा में आएं, लेकिन 1,00,000 नए नौजवान राजनीति में आएं, जिनके परिवार का कोई पूर्व राजनीतिक इतिहास न हो।”
जातिवाद और परिवारवाद से मुक्ति की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने इस पहल को जातिवाद और परिवारवाद से मुक्ति दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि इससे राजनीति में पारंपरिक जाति आधारित और पारिवारिक सत्ता की पकड़ कमजोर होगी, जिससे लोकतंत्र को समृद्ध बनाने में मदद मिलेगी। मोदी ने जोर देकर कहा कि यह जरूरी नहीं है कि ये युवा किसी एक ही राजनीतिक दल से जुड़ें। वे अपनी मर्जी के किसी भी दल से जुड़ सकते हैं और जनप्रतिनिधि बन सकते हैं। इससे राजनीति में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का माहौल बनेगा और लोकतंत्र को नई दिशा मिलेगी।
युवा राजनीति में क्यों आएं?
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में युवाओं से अपील की कि वे इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं और देश की सेवा में आगे आएं। उन्होंने कहा कि राजनीति केवल सत्ता का खेल नहीं है, बल्कि यह देश की सेवा का एक बड़ा माध्यम है। देश को ऐसी राजनीति की जरूरत है जो न केवल जनता की भलाई के लिए काम करे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार करे।
चयन प्रक्रिया: पारदर्शिता और निष्पक्षता का वादा
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी सुनिश्चित किया कि इस योजना के तहत चयन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष होगी। उन्होंने कहा कि सरकार इस योजना के लिए एक विशेष पोर्टल भी तैयार कर सकती है, जहां युवा आवेदन कर सकते हैं। इसके तहत चयनित युवाओं को विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वे राजनीति के मूल्यों और उसकी जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से समझ सकें।
समाजसेवा और नेतृत्व कौशल पर जोर
इस योजना में समाजसेवा और नेतृत्व कौशल को भी महत्व दिया जाएगा। ऐसे युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी जिन्होंने अपने जीवन में सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई हो और जिनमें नेतृत्व की क्षमता हो। इसके साथ ही, उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता और उनकी सोच में प्रगतिशील दृष्टिकोण को भी ध्यान में रखा जाएगा।
समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद
प्रधानमंत्री मोदी की इस ऐतिहासिक घोषणा को देशभर में व्यापक सराहना मिल रही है। युवा वर्ग इस योजना को एक बड़े अवसर के रूप में देख रहा है, जिससे उन्हें राजनीति में प्रवेश करने और देश की सेवा करने का मौका मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से भारतीय राजनीति में एक सकारात्मक बदलाव आ सकता है, क्योंकि इससे नए विचार और नई ऊर्जा का समावेश होगा।
राजनीति में नई लहर का आगाज
विश्लेषकों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी की इस योजना से भारतीय राजनीति में एक नई लहर का आगाज होगा। इससे न केवल राजनीति में नए चेहरों का आगमन होगा, बल्कि राजनीति में प्रगतिशील और दूरदर्शी सोच का भी समावेश होगा। इस पहल से जातिवाद और परिवारवाद की जकड़ से मुक्त होकर राजनीति को एक नई दिशा मिल सकेगी।
एक सशक्त लोकतंत्र की ओर
प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल को भारतीय लोकतंत्र के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस योजना से न केवल युवाओं को राजनीति में आने का मौका मिलेगा, बल्कि इससे लोकतंत्र को और मजबूत करने में भी मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के अंत में कहा कि यह समय है जब देश के नौजवान आगे आएं और अपने सपनों को साकार करें। उन्होंने कहा कि यह योजना देश की राजनीति में एक नई दिशा और नए दृष्टिकोण को जन्म देगी, जिससे एक सशक्त और प्रगतिशील भारत का निर्माण होगा।